Maharani Kalyani College, Laheriasarai, Darbhanga
महारानी कल्याणी कॉलेज, लहेरियासराय, दरभंगा
(A Constituent Unit of Lalit Narayan Mithila University, Darbhanga)
Maharani Kalyani College is situated in Darbhanga in Bihar state of India. Established in 1970, it is accredited from NAAC and it is affiliated to Lalit Narayan Mithila University. MKC, Darbhanga offers 17 courses across 3 streams namely Arts, Science, Commerce and Banking and across 3 degrees like BA, BSc, B.Com. MKC campus is spread over 16185 Sqft. Hostel facility is available for girls only. Additional campus facilities such as Canteen, Computer Lab, Library, Cls. Room, Sports are also there.
In due course the college was accredited by NAAC for the first time in 2005 under the leadership of Late Jiveshwar Jha, Principal of the college. In 2013, the college underwent reaccreditation by NAAC in the second cycle under the charismatic leadership of Dr. S. Arvind Singh and the grade improved with “B”. The college is regularly publishing its college magazine” KALYANI” since last seven years. At the same time the college is publishing two research journals with ISSN no. The one “BIOJOURNAL” (ISSN: 0970-9444) is devoted to the publication of original research work in bioscience. The other “KALYANI RESEARCH JOURNAL” (ISSN : 2454-3179) is a multi-lingual and multi faculty journal.
The college regularly arranges study tour, seminars and guest lectures. Special classes are arranged for slow and fast learners.
Dual degree courses are provided through Nalanda Open University, Patna of which there is a study centre in the college. Our regular students can opt for more than fifty certificate courses offered by NOU along with regular mode of courses.
Presently college is imparting teaching in Science and Arts at intermediate level and Science, Arts and Commerce at degree Honours level and is catering the needs of more than 4000 students
देवपुरी मिथिला अपने गौरवशाली इतिहास के लिए भारत के मानचित्र पर अपनी अभिट पहचान अंकित करती है। मिथिलांचल के केन्द्र बिन्दु दरभंगा नगर अपनी सांस्कृतिक, धार्मिक, सामाजिक, अध्यात्मिक विरासत के लिए विश्व विख्यात रही है।
दरभंगा के पावन भूमि पर 21 सितम्बर 1970 को महारानी कामसुन्दरी (कल्याणी), दरभंगा राज, डॉ0 श्रीमती स्व० अन्नपूर्णा मिश्रा एवं स्व0 नागेश्वर मिश्र के अथक प्रयास के फलस्वरूप लहेरियासराय का प्रथम महाविद्यालय, महारानी कल्याणी महाविद्यालय अस्तित्व में आया। महाविद्यालय की स्थापना निर्माण और विकास के संस्थापक सचिव स्व० दमन कान्त झा, तदर्थ समिति सदस्य श्री हरिश्चन्द्र मिश्र एवं प्रभारी प्रधानाचार्य डॉ० रामानन्द झा का अविस्मरणीय योगदान रहा है। पूर्व प्रधानाचार्य प्रो० सरदार अरविन्द सिंह एवं प्रो० धीरेन्द्र नाथ मिश्र के कठिन परिश्रम के परिणाम स्वरूप आज महारानी कल्याणी महाविद्यालय का वर्तमान स्वरूप साकार हो सका है। विभिन्न भवनों का निर्माण, छात्रावास का निर्माण एवं महाविद्यालय का हरा–भरा प्रांगण उन्ही के प्रयत्नों एवं कर्मठ कार्यशेली की देन है।
दरभंगा का जुड़वाँ नगर लहेरियासराय, प्रमंडल के कार्यालय मंडल न्यायालय, उत्तर बिहार का सबसे बला दरभंगा चिकित्सा महाविद्यालय एवं अस्पताल, साथ ही पार्श्ववर्ती ग्राम्य समूह के बसने वाली आबादी का बहुत बड़ा जागरूक तबला और उनके चहलकदमी का केन्द्र लहेरियासराय है।
भौगोलिक स्थितिः– महाविद्यालय से 2 किमी0 पू० प० में लहेरियासराय रेलवे स्टेशन एवं 4 किमी पू0 उ0 में दरभंगा रेलवे जंक्शन स्थित है जहाँ से पार्शवर्ती गाँव से छात्र एवं छात्राएँ ज्ञानार्जन हेतु नामांकित होते हैं। इस महाविद्यालय के पूरब में वी0 आई0 पी0 रोड एवं पश्चिम में दरभंगा लहेरियासराय मुख्य मार्ग गुजरती है।
प्रबुद्ध नागरिकों की आशा एवं आकांक्षाओं, उच्च शिक्षा प्राप्ति हेतु उत्सुक नवयुवक–नवयुवतियों तथा उपलब्ध स्थान से कई गुणा अधिक प्रत्याशियों की निराशा का सही समाधान के उद्देश्य से बिहार विश्वविद्यालय मुजफ्फरपुर से विज्ञान एवं कला कार्य में स्नातक स्तर तक संबद्धता प्राप्त कर लेने के उपरान्त 1970 ई0 में महारानी कल्याणी महाविद्यालय का शुभारंभ महारानी लक्ष्मी भर्ती अकादमी लहेरियासराय के परिसर में हुआ।
महाविद्यालय की स्थापना के 3 वर्ष पश्चात् महारानी लक्ष्मी बत्ती आकादमी परिसर से वेता चौक पर स्थानान्तरित हुआ, तत्पश्चात् पुनः 1 वर्ष के बाद वर्तमान परिसर में स्थापित हुआ। महाविद्यालय परिसर 4 एकड़ में अवस्थित है तथा कैम्पस में एक सुन्दर तालाब भी है जो महाविद्यालय को प्रकृति के साथ जोड़ कर रखे हुए है।
लहेरियासराय के बीचों बीच शांत और मनोरम परिवेश में यह महाविद्यालय स्थित है जहाँ शिक्षार्थी
अपनी ध्यान मुद्रा को आसानी से एकाग्र कर लेते है सरस्वती रूपी ज्ञानार्जन में यह महाविद्यालय किसी इबादत और मंदिर–मस्जिद से कम महत्व नहीं रखता। शिक्षार्थी को बड़े से बड़े लक्ष्य तक पहुँचने में यह मददगार सिद्ध हो चुका है। अपनी स्थापना काल से आज तक इस महाविद्यालय ने ऐसे–ऐसे रत्न पैदा किये हैं जिसने भारत के प्रत्येक हिस्से को गौरवान्वित किया है।
स्व० डॉ० अन्नपूर्णा मिश्रा के साथ–साथ प्रथम प्रधानाचार्य स्व० डों० परीक्षित मिश्र, स्व० ललित नारायण मिश्र, पूर्व मंत्री भारत सरकार, पूर्व मुख्यमंत्री स्व० कर्पूरी ठाकुर, को भुलाया नहीं जा सकता जब भी आगामी नामांकित छात्र–छात्राएं अपने महाविद्यालय के अतीत को जानेंगे उन्हें कुछ और यशस्वी नामों को जानना आवश्यक है जिनमें स्वनाम धन्य दगा कान्त झा. (संस्थापक सचिव) हरिश्चन्द्र मिश्र, (तदर्थ समिति सदस्य) प्रसिद्ध चिकित्साविद डॉ० के0 औी 0 अरोड़ा, स्व० झिगुर कुमर, रचा ऋतुनाथ झा, गोविन्द मिश्र, प्रो0 सरदार अरधिन्द सिंह एवं प्रो० धीरेन्द्र नाथ मिश्र हैं।
यह महाविद्यालय स्थापना काल से ही अपनी अभूतपूर्व विशेषताओं एवं महाविद्यालय कर्मियों के प्रयास फलस्वरूप निरतर प्रगति करते हुए सफलता के नये आयाम रचता रहा है। इस क्रम में महाविद्यालय में वाणिज्य संकाय की पढ़ाई ल0 ना0 मि0 वि0 की अनुमति से प्रारंभ हुई। छात्रों के समूचित विकास एवं उनके उज्जवल भविष्य के लिए विभिन्न समिति का गठन किया गया। एक सुरक्षित एवं स्वच्छय परिवेश के लिए महाविद्यालय के विकास समिति एवं जेडरसेन्सेटाईजेशन, सह–मानवाधिकार सेल की स्थापना की गई है।
छात्रों को बेहतर भविष्य के मार्गदर्शन के लिए कैरियर परामर्श सेल की स्थापना अनुभवी शिक्षकों के नेतृत्व में की गई जिससे बड़ी संख्या में छात्र–छात्राएँ लाभान्वित हो रहे हैं। इसी क्रम में वर्ष 2014 में NAAC द्वारा महाविद्यालय के परिसर एवं गुणवता को प्रमाणित कर “B” ग्रेड दिया गया। बिहार सरकार के द्वारा इस महाविद्यालय को “A” ग्रेड भी प्राप्त है। महाविद्यालय में शिक्षा के अतिरिक्त शोध कार्यो को बढ़ावा देने के लिए वरिष्ठ शिक्षकों द्वारा विभिन्न शोध परियोजनाओं पर अनुसंधान किया गया है और उनके विभिन्न शोध पत्र राष्ट्रीय तथा अन्तर्राराष्ट्रीय स्तर के शोध पत्रिकाओं में प्रकाशित हुए हैं।